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श्री श्याम बाबा के चरणों में सच्ची भक्ति और श्रद्धा

🌸 श्री श्याम बाबा के चरणों में सच्ची भक्ति और श्रद्धा ही जीवन का सबसे बड़ा धन है।

✨ यही मार्ग हमें शांति, प्रेम और करुणा की ओर ले जाता है।

🙏 खाटू श्याम जी का दरबार केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि भक्तों का आध्यात्मिक केन्द्र है, जहाँ हर हृदय को संबल और हर मनोकामना को आश्रय मिलता है।


💫 यहाँ आकर हर भक्त अपने जीवन में दिव्यता और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करता है।

श्री श्याम बाबा की कथा

खाटू श्याम की कहानी महाभारत काल के महायोद्धा घटोत्कच के पुत्र और भीम के पौत्र बर्बरीक से जुड़ी है। बर्बरीक ने भगवान शिव से तीन अद्भुत बाण प्राप्त किए और माँ हिडिम्बा से वचन लिया कि वे हमेशा हारे हुए पक्ष का साथ देंगे। युद्ध में जाने से पहले, श्रीकृष्ण ने उनकी परीक्षा ली और उनका शीश मांग लिया, जिसे बर्बरीक ने सहर्ष दान कर दिया। प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें कलयुग में “श्याम” नाम से पूजे जाने का वरदान दिया, जो आज ‘हारे का सहारा’ के रूप में खाटू श्याम जी के नाम से प्रसिद्ध हैं। बर्बरीक का जीवन और शक्ति बर्बरीक का बचपन से ही वीर और महान योद्धाओं के गुण थे। उन्होंने भगवान शिव को   Read More

Khatu shayam ji ki aarti time

खाटू श्याम जी का फोटो गैलरी

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हारे का सहारा

आपके प्रश्नों के उत्तर

सामान्य प्रश्न

खाटू श्याम की सच्चाई यह है कि वह महाभारत काल के बर्बरीक नामक वीर योद्धा हैं, जो पांडुपुत्र भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थेकृष्ण ने उनकी महानता से प्रसन्न होकर उन्हें कलयुग में ‘श्याम’ नाम से पूजे जाने का वरदान दिया. राजस्थान के सीकर जिले में उनका मंदिर है, जहाँ उन्हें ‘हारे का सहारा’ और ‘शीश का दानी’ कहा जाता है और भक्तजन उनकी मनोकामनाएं पूरी करने की शक्ति में विश्वास रखते हैं. 

 
खाटू श्याम की कहानी:
  1. बर्बरीक का जन्म: 

    बर्बरीक, जो भीम के पोते और घटोत्कच के पुत्र थे, एक महान योद्धा थे. 

     
  2. वरदान प्राप्ति: 

    उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न कर तीन अभेद्य बाण प्राप्त किए थे. 

     
  3. महाभारत युद्ध में भूमिका: 

    युद्ध से पहले कृष्ण ने बर्बरीक से उनका शीश दान करने का वचन लिया. 

     
  4. कृष्ण से वरदान: 

    कृष्ण ने बर्बरीक की महानता से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि वह कलयुग में उनके नाम ‘श्याम’ से पूजे जाएंगे और भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी करेंगे. 

     
  5. खाटू धाम में प्रकट होना: 

    बर्बरीक के शीश को राजस्थान के खाटू धाम में जमीन से निकाला गया और वहीं पर वे आज भी विराजमान माने जाते हैं. 

     
खाटू श्याम की पूजा क्यों होती है?
  • ‘हारे का सहारा’: 

    लोग मानते हैं कि जो कोई भी सारी दुनिया से हारा हुआ हो और सच्चे मन से खाटू श्याम का नाम लेता है, उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. 

     
  • ‘शीश का दानी’: 

    खाटू श्याम बाबा को ‘शीश का दानी’ भी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने युद्ध के लिए अपना शीश दान कर दिया था. 

     
  • भक्तों का विश्वास: 

    भक्तजन मानते हैं कि बाबा श्याम की भक्ति से जीवन में शक्ति और साहस मिलता है और हर मुराद पूरी होती है. 

     
मंदिर का महत्व:
  • राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम जी का मंदिर भारत के प्रतिष्ठित तीर्थस्थलों में से एक है. 
     
  • हर साल होली के दौरान यहाँ एक विशाल मेले का आयोजन होता है, जिसमें देश-विदेश से लाखों भक्तजन आते हैं. 

खाटू श्याम की सच्चाई यह है कि वह महाभारत काल के बर्बरीक नामक वीर योद्धा हैं, जो पांडुपुत्र भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थेकृष्ण ने उनकी महानता से प्रसन्न होकर उन्हें कलयुग में ‘श्याम’ नाम से पूजे जाने का वरदान दिया. राजस्थान के सीकर जिले में उनका मंदिर है, जहाँ उन्हें ‘हारे का सहारा’ और ‘शीश का दानी’ कहा जाता है और भक्तजन उनकी मनोकामनाएं पूरी करने की शक्ति में विश्वास रखते हैं. 

 
खाटू श्याम की कहानी:
  1. बर्बरीक का जन्म: 

    बर्बरीक, जो भीम के पोते और घटोत्कच के पुत्र थे, एक महान योद्धा थे. 

     
  2. वरदान प्राप्ति: 

    उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न कर तीन अभेद्य बाण प्राप्त किए थे. 

     
  3. महाभारत युद्ध में भूमिका: 

    युद्ध से पहले कृष्ण ने बर्बरीक से उनका शीश दान करने का वचन लिया. 

     
  4. कृष्ण से वरदान: 

    कृष्ण ने बर्बरीक की महानता से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि वह कलयुग में उनके नाम ‘श्याम’ से पूजे जाएंगे और भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी करेंगे. 

     
  5. खाटू धाम में प्रकट होना: 

    बर्बरीक के शीश को राजस्थान के खाटू धाम में जमीन से निकाला गया और वहीं पर वे आज भी विराजमान माने जाते हैं. 

     
खाटू श्याम की पूजा क्यों होती है?
  • ‘हारे का सहारा’: 

    लोग मानते हैं कि जो कोई भी सारी दुनिया से हारा हुआ हो और सच्चे मन से खाटू श्याम का नाम लेता है, उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. 

     
  • ‘शीश का दानी’: 

    खाटू श्याम बाबा को ‘शीश का दानी’ भी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने युद्ध के लिए अपना शीश दान कर दिया था. 

     
  • भक्तों का विश्वास: 

    भक्तजन मानते हैं कि बाबा श्याम की भक्ति से जीवन में शक्ति और साहस मिलता है और हर मुराद पूरी होती है. 

     
मंदिर का महत्व:
  • राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम जी का मंदिर भारत के प्रतिष्ठित तीर्थस्थलों में से एक है. 
     
  • हर साल होली के दौरान यहाँ एक विशाल मेले का आयोजन होता है, जिसमें देश-विदेश से लाखों भक्तजन आते हैं. 
     

खाटू श्याम मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है, जहाँ घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ने युद्ध में अपने बलिदान के बाद श्रीकृष्ण से वरदान प्राप्त कर ‘खाटू श्याम’ का रूप लिया, और कलियुग में खाटू के राजा को उनके शीश का स्वप्न मिला। यह स्वप्न 1027 ई. में राजा रूपसिंह चौहान को आया, जिन्होंने बर्बरीक के शीश को श्याम कुंड से निकालकर मंदिर का निर्माण करवाया। बाद में 1720 ई. में दीवान अभय सिंह ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। 

 
  • बर्बरीक (जिन्हें खाटूश्याम भी कहा जाता है) महाभारत काल में भीम के पुत्र घटोत्कच के पुत्र थे। 
     
  • कहा जाता है कि उन्होंने स्वेच्छा से श्रीकृष्ण के कहने पर युद्ध से पहले अपने शीश का दान कर दिया था। 
     
  • श्रीकृष्ण ने उन्हें कलियुग में खाटूश्याम के नाम से पूजे जाने का वरदान दिया, और उनका शीश फाल्गुन माह में खाटू गाँव के श्याम कुंड में मिला। 
     
  • 1027 ईस्वी में: खाटू गाँव के शासक राजा रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कंवर को स्वप्न में बर्बरीक का शीश मिला। 
     
  • राजा ने उस स्थान पर मंदिर का निर्माण करवाया जहाँ शीश मिला था, और उस पवित्र स्थान को श्याम कुंड के नाम से जाना जाने लगा। 
     
  • 1720 ईस्वी में: मेवाड़ के शासक दीवान अभय सिंह ने मंदिर का जीर्णोद्धार (पुनर्निर्माण) करवाया। 
     
  • आज खाटू श्याम मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है और भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण आस्था का केंद्र है। 
     
  • भक्तगण खाटूश्याम जी से अपनी मुरादें पूरी करने और जीवन की परेशानियों को दूर करने की कामना लेकर मंदिर आते हैं। 

खाटू श्याम जी के दर्शन करने और उनकी पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं, जीवन की परेशानियां दूर होती हैं, और आध्यात्मिक विकास होता हैमंदिर से लाई गई शुभ वस्तुओं, जैसे जल, इत्र, मोरपंख, चादर या रुमाल का घर में उपयोग करने से सुख-शांति बनी रहती है और नकारात्मकता दूर होती है. 

 
मुख्य लाभ:
  • मनोकामनाओं की पूर्ति: 

    सच्चा मन से खाटू श्याम जी की पूजा-अर्चना करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. 

     
  • दुखों से मुक्ति: 

    बाबा खाटू श्याम को “हारे का सहारा” कहा जाता है, जो भक्तों को दुखों और परेशानियों से उभारते हैं. 

     
  • आध्यात्मिक विकास: 

    मंदिर जाकर दर्शन करने से भक्तों के आध्यात्मिक और भावनात्मक स्तर में सुधार होता है. 

     
  • सकारात्मक ऊर्जा और शांति: 

    मंदिर से लाई गई पवित्र वस्तुओं, जैसे श्याम कुंड का जल या इत्र, को घर में इस्तेमाल करने से नकारात्मकता दूर होती है और घर में सुख-शांति आती है. 

     
  • स्वास्थ्य लाभ: 

    खाटू धाम से लाए गए पवित्र जल को पीने या छिड़कने से स्वास्थ्य समस्याओं में लाभ मिलता है और रोग-मुक्ति हो सकती है. 

     
शुभ वस्तुएं जो घर ले आएं:
  • इस जल का घर में छिड़काव करने और पीने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और स्वास्थ्य में लाभ मिलता है, जैसा कि YouTube पर बताया गया है. 

     
  • बाबा श्याम को गुलाब का इत्र चढ़ाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मंदिर से लाया गया इत्र घर में रखने से सुख-शांति बनी रहती है. 

     
  • मोरपंख को खुशियों का प्रतीक माना जाता है, और इसे घर लाने से सुख-समृद्धि आती है. 

     
  • खाटू धाम से लाई गई चादर या रुमाल का पूजा में उपयोग करने से भगवान की कृपा बनी रहती है. 

खाटू श्याम जी को अर्जी लगाने के लिए, एक नए सफेद कागज पर लाल स्याही से अपनी इच्छा लिख दें। अर्जी में अपना नाम, मनोकामना और बाबा श्याम की कृपा का अनुरोध लिखें. इसके बाद, इसे मौली (कलावा) से बांधकर, सूखे नारियल के साथ बाबा श्याम के मंदिर में चढ़ा दें.

हाँ, घर में खाटू श्याम जी की मूर्ति या तस्वीर रखना शुभ माना जाता है, क्योंकि इससे घर में सुख-समृद्धि आती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, लेकिन इसे साफ-सुथरी और पवित्र जगह पर स्थापित करना और नियम-विधान से पूजा-अर्चना करना आवश्यक है। 

 
घर में खाटू श्याम जी की मूर्ति रखने के लाभ
  • सुख-समृद्धि: 

    खाटू श्याम जी की मूर्ति घर में रखने से घर में सुख और समृद्धि आती है, ऐसा माना जाता है कि वे श्रीकृष्ण के रूप हैं। 

     
  • सकारात्मक ऊर्जा: 

    यह घर में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देती है। 

     
  • आशीर्वाद और कृपा: 

    भक्तों का मानना है कि बाबा श्याम की कृपा से जीवन में कभी हार का सामना नहीं करना पड़ता और उनकी कृपा बनी रहती है। 

     
मूर्ति रखने के नियम
  • पवित्र स्थान: 

    खाटू श्याम जी की मूर्ति या तस्वीर को घर में एक साफ और पवित्र स्थान पर स्थापित करें। 

     
  • धार्मिक नियम: 

    यदि आप घर में मूर्ति स्थापित करते हैं, तो रोजाना विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना करें और दीपक जलाएं। 

     
  • पूर्व दिशा: 

    खाटू श्याम जी की तस्वीर पूर्व दिशा में लगानी चाहिए, क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा की दिशा मानी जाती है। 

     
किन बातों का ध्यान रखें
  • कुछ भक्तों के अनुसार, खाटू श्याम के शीश की छवि घर में रखने के कुछ नियम होते हैं, जो आज की भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में निभाना मुश्किल हो सकता है। 
     
  • इसलिए, यदि आप नियम निभा सकते हैं और विधि-विधान से पूजा कर सकते हैं, तभी मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

खाटू श्याम के कई मंत्र हैं, जिनमें सबसे आम और मूल मंत्र “ॐ श्री श्याम देवाय नमः” है। इसके अलावा, जय श्री श्याम, ॐ मोर्वी नंदनाय विद्महे श्याम देवाय धीमहि तन्नो बर्बरीक प्रचोदयात् (श्याम गायत्री मंत्र) और ॐ खाटू श्यामाय नमः जैसे मंत्रों का भी जाप किया जाता है। 

 

मुख्य मंत्र: 

 
  • ॐ श्री श्याम देवाय नमः : यह खाटू श्याम जी का मूल मंत्र है, जो आत्मा को शुद्ध करता है और नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करता है।
अन्य प्रचलित मंत्र:
  • जय श्री श्याम 

    : यह एक साधारण और लोकप्रिय मंत्र है जिसका जाप खाटू श्याम जी की जय-जयकार के लिए किया जाता है। 

     
  • ॐ मोर्वी नंदनाय विद्महे श्याम देवाय धीमहि तन्नो बर्बरीक प्रचोदयात् 

    : यह खाटू श्याम जी का गायत्री मंत्र है, जो उनके नाम और स्वरूप पर आधारित है। 

     
  • ॐ खाटू श्यामाय नमः 

    : यह मंत्र सुखी वैवाहिक जीवन और खाटू श्याम जी के आशीर्वाद के लिए बहुत शक्तिशाली माना जाता है। 

     
  • ॐ श्याम शरणम ममः 
    : यह मंत्र श्याम के प्रति समर्पण और शरणागति को दर्शाता है। 

खाटू श्याम जी मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था और विश्वास का प्रतीक है। यही वजह है कि भक्त उन्हें “हारे का सहारा” मानते हैं और आज भी दूर-दूर से खाटू धाम पहुँचकर बाबा का आशीर्वाद पाते हैं।

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